बड़ा हादसा टला - एसएनसीयू के वेंटीलेंटर में भड़की आग, 24 दुधमुंहों को स्टाफ ने बचाया

सतना। सरदार वल्लभ भाई शासकीय जिला चिकित्सालय के स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में सुबह-सुबह वेंटीलेंटर में आग भड़क उठी। इस आगजनी की घटना से ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ के हाथ-पैर फूल गए। इससे पहले कि आग बेकाबू हो पाती स्टाफ वार्ड में भर्ती 24 दुधमुंहे बच्चों को लेकर बाहर की ओर भागा। स्टाफ नर्स ने अग्निशामक यंत्र से आग पर काबू पाया। वेंटीलेंटर में जिस वक्त चिंगारी भड़की उस समय एक नवजात को उस पर लिटाया गया था। इस घटना ने लगभग 6 साल पहले उस शाम की याद ताजा कर दी जब इसी एसएनसीयू में भयानक आग लग गई थी। उस घटना में 3 गंभीर बच्चों को रीवा मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया था। 
फायर अलार्म ने किया आगाह
हासिल जानकारी के मुताबिक सुबह साढ़े 6 बजे का वक्त था जब अचानक एसएनसीयू के फायर अलार्म ने आग लगने की चेतावनी दी। उस वक्त स्टाफ नर्स संध्या मिश्रा की ड्यूटी थी। उसने चारों तरफ निगाह दौड़ाई तो पता चला कि वेंटीलेंटर में आग लग गई है। यह आग जिस वक्त लगी उस समय वेंटीलेंटर पर मंजू वर्मा के बेटे को कृत्रिम श्वसन यंत्र में लिटाया गया था। संध्या ने सबसे पहले बच्चे को वेंटीलेंटर से उठाया और बाहर लेकर भागी। इस बीच एसएनसीयू की ड्यूटी डॉक्टर सुचित्रा अग्रवाल और ओपीडी में मौजूद डॉ. अमर सिंह भी मौके पर पहुंच गए। आनन-फानन सभी ने मिलकर यूनिट में एडमिट सभी 24 बच्चों को को पलंग समेत खींचकर गैलरी में ले गए। इनबॉर्न में 11 और आउटबॉर्न में 13 बच्चे भर्ती थे।
काम आया अग्निशामक यंत्र
बच्चों को यूनिट से बाहर करने के बाद स्टाफ नर्स ने अग्निशामक यंत्र उठाया और उसे चालू कर दिया। गनीमत रही कि आग पर तत्काल काबू में कर लिया गया। वार्ड में करीब दो घंटे तक धुआं भरा रहा। स्टाफ ने पूरी खिड़कियों को खोल दिया। धीरे-धीरे गुंग छंटी तो बच्चों को वापस एसएनसीयू में शिफ्ट किया गया। सूत्रों ने बताया कि यहां तीन वेंटीलेंटर हैं जो ढाई साल पहले डायरेक्ट्रेट से आए थे। जनवरी महीने में ही एम हेल्थ केयर के इंजीनियरों ने वेंटीलेंटरों की सर्विसिंग की थी। वेंटीलेटर में आगजनी की जानकारी एम हेल्थ केयर को दे दी गई है। उल्लेखनीय है कि 24 जून 2014 को इसी एसएनसीयू में भीषण आगजनी हो गई थी। जब बजरंग दल के कार्यकर्ताओं, ब्लड बैंक के लैब टेक्नीशियन रामभाई त्रिपाठी और अन्य स्टाफ ने मिलकर लगभग 35 नवजातों को काल के गाल से बचा लिया था। महज 3 बच्चों को गंभीर हालत में रीवा मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया था। 
इनका कहना है
जिस वक्त फायर अलार्म बजा तो मैं उस वक्त ड्यूटी पर ही था। आगजनी की सूचना मिलते ही हम एसएनसीयू की ओर भागे। सबसे पहले हमने दोनों यूनिट में भर्ती बच्चों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया, इसके बाद आग बुझाने में जुट गए। भगवान का शुक्र है कि कोई हताहत नहीं हुआ।
डॉ. अमर सिंह आरएमओ, जिला अस्पताल